Description :
महत्व: ओ3म् को ब्रह्माण्ड का पहला शब्द कहा गया है। इसके उच्चारण में अ$उ$म अक्षर ब्रह्मा, विष्णु ओर महेश (शंकर) का बोध कराते हैं और इन तीनों शक्तियों का एक साथ आवाह्न होता है। ईसाईयों व मुसलमानों का आमीन ‘ओ3म्’ ही है। जैनों ने ‘ओ3म्’ में पंच परमेष्ठि का निवास माना है। ओ3म् की नाद (ध्वनि) ब्रह्म है। ओ3म् परा बीजाक्षर है। इसी कारण हर शुभ कार्य करने से पहले इसका उच्चारण अनिवार्य है।ओ3म् के जाप या दर्शन मात्रा से कई रोगों का इलाज, वास्तुदोष निवारण, सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि तथा कई तरह की परेशानियों से मुक्ति संभव है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए ओ3म् का उच्चारण व दर्शन नित्य करें। ‘ओ3म् शान्ति’।
पिरामिड: सामान्य शाब्दिक अर्थ है अग्निशिखा अर्थात् एक ऐसी अदृश्य ऊर्जा शक्ति का पुंज है, जो अग्नि समान आपके बाह्यंतर को निर्मल कर सकता है। पिरामिड के पाँचों शीर्षो से ऊर्जा के वर्तुल स्वरूप प्राणिक ऊर्जा सदैव ऊपर बहती रहती है। पिरामिड नकारात्मक ऊर्जा का विलोपन कर सकारात्मक ऊर्जा में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि करते हैं।
बनावट: गोलाकार आकृत्ति लाल रंग का ओ3म् ‘शांति तथा शक्ति’ का प्रतीक है। ओ3म् के चारों और पिरामिड बनायें गये हैं, जो ओ3म् के साथ विभिन्न प्रकार के वास्तु दोषों का निवारण करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उपयोग: शुभम् ओ3म् को द्वार के ऊपर लगाया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के द्वार के दोषों को दूर करने के लिए दोष के अनुसार द्वार के ऊपर तथा प्रवेश करते ही सामने की दीवार तथा पूजा स्थल पर स्थापित किया जा सकता है। इस यंत्रा को अध्यात्मिक, मानसिक व द्दढ़ इच्छा शक्ति में वृद्धि के लिये उपयोग करने पर उत्तम परिणाम प्राप्त होते हैं।